हम मनुष्य इस ग्रह पृथ्वी के हर क्षण का आनंद लेने वाले जीवों में सबसे आगे हैं। हर गुजरते दिन के साथ हम प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, चिकित्सा, रोबोटिक्स इत्यादि के क्षेत्र में कुछ नया हासिल कर रहे हैं। कभी-कभी अपनी उपलब्धियों को देखकर अपने आप को भगवान की उपाधि देने से भी नहीं चूकते है लेकिन कुछ अप्रत्याशित घटनाएं हमारे इस मिथक को समय-समय पर खारिज करती रहती हैं। इन प्रकार की आकस्मिक आपदाओं को संभालने के लिए कभी-कभी हमारी सारी तकनीकी और चिकित्सीय उन्नति छोटी हो जाती है और ऐसी ही एक महामारी कोरोना हमारे सामने मुँह बाये खड़ी हैं । यह कुछ ऐसा नहीं है कि हम पहली बार इस तरह की महामारी से पीड़ित हुए हैं, लेकिन इस तरह की चीजें हमें हमारी सारी उपलब्धियों और मानव जीवन को बचाने के लिए इसके उपयोग की सीमितता के बारे के विचार करने के लिए मजबूर कर देती है |
महामारी किसे कहते हैं ?
इससे पहले कि हम ऐसी कुछ और घटनाओं को जाने एवं उन्होंने मानव इतिहास को कैसे बदला, हम जानेंगे कि महामारी आखिर होती क्या है?
जब कोई बीमारी या स्थिति अपने एक सामान्य अनुपात से बाहर होकर बेकाबू जाती है, लेकिन एक विशेष क्षेत्रों तक सीमित न रहकर व्यापक भौगोलिक क्षेत्र या देशों या पूरी दुनिया में फैलता है, तो इसे महामारी कहा जाता है।
वैश्विक प्रसिद्ध महामारियाँ जिन्होंने मानव अस्तित्व को चुनौती दी
उपर्युक्त सूची में विभिन्न प्रकार की महामारियों का उल्लेख है, जिसने मानव जाति को सबसे खतरनाक तरीके से प्रभावित किया है। विश्व भर में दर्जनों ऐसी महामारी की घटनाये हुयी है जिनसे
लाखों की संख्या में मानव जीवन को विनाश हुआ है |
1. यूरोप की काली मौत (1347 – 1353)
यूरोप हमेशा प्लेग बीमारी के लिए खेल का मैदान रहा है। काली मौत ( ब्लैक डेथ )को आमतौर पर बुबोनिक प्लेग के रूप में जाना जाता है
यह बीमारी चीन के व्यापारिक चीनी रेशम मार्ग द्वारा संभवतः एशिया से यूरोप तक आयी थी गई। कुछ अनुमान बताते हैं कि इस बीमारी ने यूरोप की आधी से अधिक आबादी को मिटा दिया था |
इस बीमारी का कारण जीवाणु येरसिनिया पेस्टिस था जो आज विलुप्त होने की संभावना है और संक्रमित कृन्तकों पर पिस्सू द्वारा फैलता है।
प्लेग तीन रूपों में फैलता है। पहले लोगों में फेफड़ों का संक्रमण होता है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। जिसने भी किसी भी हद तक इस बीमारी का संदूषण किया है वह बच नहीं सकता है और दो दिनों के भीतर मर जाएगा। दूसरे फोड़े से कांख के नीचे और तीसरा रूप जिसमें दोनों लिंगों के लोगों पर कण्ठ में हमला किया जाता है।
ब्लैक डेथ एकमात्र प्लेग नहीं है जिसने यूरोप और एशिया को प्रभावित किया है, इसके अलावा भी प्लेग की कई घटनाएँ हुई हैं और उनमें से सबसे प्रसिद्ध 16 वीं शताब्दी में लंदन का प्लेग रोग है। जिसने ब्रिटेन में लगभग 100,000 लोगों को मार डाला था ।
2. स्पैनिश फ्लू (1918 – 1920)
स्पैनिश फ्लू को आमतौर पर 1918 फ्लू महामारी कहा जाता है। यह लगभग ३ साल तक रहा तथा भर में 50 करोड़ लोगों को संक्रमित किया, जो उस समय की दुनिया की आबादी का लगभग चौथाई थी और दुनिया भर में लगभग 10 करोड़ लोग इस बीमार की वजह से मारे गए |
अधिकांश इन्फ्लूएंजा का प्रकोप बहुत ही कम छोटी उम्र एवं बूढ़े लोगों को मारता है, लेकिन इस स्पेनिश फ्लू ने इसके उलट युवा वयस्कों के लिए अपेक्षित मृत्यु दर से अधिक रफ़्तार से प्रभावित किया ।
स्पैनिश फ्लू ने ज्यादातर यूरोप, अमेरिका, जापान, ब्राजील, ईरान, न्यूजीलैंड, घाना और इथियोपिया को प्रभावित किया था । उस समय चीन इस महामारी से सबसे कम प्रभावित था
3. एशियाई फ्लू (1957 – 1958)
यह एक अन्य प्रकार का फ्लू है जो 2 वर्षों तक एशियाई क्षेत्र में रहा और दुनिया भर में फैल गया। इस फ्लू की उत्पत्ति चीन में हुई थी और इसने एक लाख से अधिक लोगों की जान ले ली।
इलाज: – इन्फ्लुएंजा वायरस उपचार योग्य है, लेकिन वायरस के प्रारूप बहुत होने में देर लग जाती है इसलिए सटीक पहचान इस इसके सफल उपचार की कुंजी है |
4. एड्स (1981 – वर्तमान तक)
मनुष्यों के लिए सबसे प्रसिद्ध महामारी एड्स है और यह अभी भी हमारी चिकित्स्कीय कुशलता पर एक बाद सवालिया प्रश्न चिन्ह है। एड्स की शुरुआत 1981 में यूएसए में 5 मरीजों की पहचान के साथ हुई थी। माना जाता है कि पश्चिम-मध्य अफ्रीका में गैर-मानव प्राइमेट्स (चिंपैंजी और बंदर) में एचआईवी वायरस का जन्म हुआ था और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में उन्हें मानव में स्थानांतरित हो गया था।
एड्स मानव इम्युनोडिफीसिअन्सी वायरस के संक्रमण के कारण होता है और अधिग्रहीत प्रतिरक्षा की कमी सिंड्रोम (एचआईवी / एड्स) मानव इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस के संक्रमण एक बीमारी न होकर विभिन्न रोगो का एक पूरा संग्रह होता है जो की शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के काम होने से होने जाते है |
एड्स की पहचान (1980 के दशक की शुरुआत में) होने से लेकर अब तक दुनिया भर में अनुमानित 35 मिलियन लोगों की मौत इस बीमारी के कारण हो गई है | यह बीमारी अभी भी हमारे सामने एक बड़ी चुनौती बनकर कड़ी हुयी है |
इलाज: – वर्तमान में कोई रोग का कोई इलाज नहीं है, न ही कोई प्रभावी एचआईवी का टीका है । उपचार में अत्यधिक सक्रिय एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (HAART) होती है जो रोग की प्रगति को धीमा कर देती हैतथा इस रोग से बचाव ही इसका उपचार है |
5. एच 1 एन 1 स्वाइन फ्लू (2009 – 2010)
स्वाइनफ्लू या इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक रोग है जो कई प्रकार के स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस में से किसी एक के कारण होता है। स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस (SIV) या स्वाइन-मूल इन्फ्लूएंजा वायरस (S-OIV) वायरस के इन्फ्लूएंजा परिवार के किसी भी प्रकार से हो जाता है जो सूअरों (स्वाइन) में स्थानिक है और इसकी उत्पत्ति के सूअर से होने के कारण ही इसे स्वाइन फ्लू कहा जाता है |
एड्स की तरह ही स्वाइन फ्लू का पता भी संयुक्त राज्य अमेरिका में लगाया गया था, बाद में 2015 में भारत में स्वाइन फ्लू के मामलों का पता चला था जो 2015 से अब तक लगभग 1841 मौतों का कारण बना है |
संयुक्त राज्य अमेरिका, फिलीपींस, नेपाल, पाकिस्तान, भारत, मालदीव और उत्तरी आयरलैंड स्वाइन फ्लू से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले देश हैं, जिसने 2009 में अपनी उत्पत्ति के बाद से कुछ समय के दौरान ही संसार भर में लगभग ५ लाख लोगों को मार दिया था।
इलाज: – स्वाइन फ्लू को ठीक करने के लिए टीके उपलब्ध हैं, टीके का एक भी डोज 10 दिनों के भीतर वायरस से बचाव के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी बनाता है। इस वायरस का सूअरों पर कोई घातक प्रभाव नहीं दिखाता है।
6. इबोला (1976 – वर्तमान तक)
ईवीडी या इबोला वायरस रोग, जिसे पहले इबोला रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में एक दुर्लभ लेकिन गंभीर घातक बीमारी है। इबोला वायरस मानव सहित सभी प्राइमेट्स को प्रभावित करता है। इस बीमारी से संक्रमित लोगों में मृत्यु दर लगभग 50% से भी अधिक होती है।
इस बीमारी का पता 1976 में एक साथ दो प्रकोपों द्वारा लगा था जिसमे से एक दक्षिण सूडान में और दूसरा डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में इबोला नदी के पास से हुआ जहाँ से इस बीमारी का नाम भी लिया गया है । अब तक WHO ने इबोला के 24 प्रकोपों की सूचना दी है। सबसे बड़ा प्रकोप 2013 में पश्चिम अफ्रीका में हुआ था जिसमें 11,323 लोगों की मौत का दावा किया गया था और तब से यह अफ्रीकी क्षेत्र में एक अंतराल में होता रहता है । मुख्यतया यह बीमारी अफ्रीका महाद्वीप तक ही सीमित है तथा दुनिया भर में इसके केवल कुछ इक्के दुक्के मामले ही सामने आते है |
इलाज: – अब तक इबोला के खिलाफ कोई सुनिश्चित टिके का अविष्कार नहीं हुआ है लेकिन पिछले साल 2019 में वैज्ञानिक ने 90% प्रभावी टीका बनाया है लेकिन तब से अब तक इसका कोई बड़ा प्रकोप नहीं हुआ जिससे इस टीके की प्रभावशीलता को जांचा जा सकते |
7. कोरोना वायरस COVID-19 (वर्तमान)
21 वीं सदी के मानव इतिहास में कोरोना वायरस ने दुनिया भर में सबसे अधिक भय पैदा किया है। इस वायरस के संक्रमण की सही उत्पत्ति चीन के वुहान नामक शहर से मानी जाती है। यह 2 महीने की छोटी अवधि के भीतर ही 90 से अधिक देशों में फैल गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण के अब तक 316059 मामलों का पता चला है और दुनिया भर में चीन, इटली, ईरान, जापान, स्पेन और फ्रांस में लगभग 14 ,0000 लोगों की मौत हुई है।
दुनिया भर में सरकारों ने संक्रमण को रोकने के लिए व्यापक बंद कर रखे है । भारत एक बड़ी आबादी होने के बावजूद कोरोना वायरस का बहुत ही मजबूती प्रबंधन कर रहा है तथा सरकार द्वारा की जा रही विभिन्न पहलों को प्रभावी ढंग से फैला रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू नाम के ऐसे मेजर इवेंट का आयोजन किया भी किया था , जो पूरे भारत में 14 घंटे तक इनडोर रहने से फैली हुई श्रृंखला को तोड़ने के लिए किया गया एवं काफी हद तक सफल भी हुआ |
सबसे संक्रमित देश होने के बावजूद चीन ज्यादातर संक्रमित लोगों को मृत्यु दर से उबारने में कामयाब रहा, जो अविश्वसनीय लगता है और ऐसा लगता है जैसे यह दुनिया से कुछ छिपा रहा है।
कोरोना वायरस से होने वाली मृत्यु वाले देशों की सूची देखें
इलाज: – वर्तमान में रोकथाम ही इसका इलाज है,अभी तक कोरोना को ठीक करने के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है, कई टीकाकरण चल रहे हैं और वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले 3-4 महीनों में हमारे पास COVID-19 के खिलाफ एक प्रभावी टीका होगा
महामारी नियंत्रण में हमारा व्यक्तिगत योगदान
इन बताई गयी सभी महामारियों में से में FLU सबसे आम है और सभी में सबसे घातक है लेकिन ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस इससे आगे निकल रहा है।
इस तरह की कई महामारियों से मानव अस्तित्व को हमेशा चुनौती मिलती रही है, अभी तक हम सभी बाधाओं से बचने में कामयाब रहे हैं, लेकिन हम कभी नहीं जानते कि कब हम इसकी चपेट में आ जाये एवं बचाव का कोई रास्ता ही न बचे। कई शताब्दियों के हमारे मानव अस्तित्व का अनुभव हमारे किसी भी काम नहीं आता है जब इस तरह की महामारी एवं रोगों की बात आती है। फिलहाल हमारे पास जो इलाज है वह जागरूकता और इसके फैलाव को रोकना|
इस प्रकार की महामारी के समय हमे हमेशा विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्थानीय प्रशासन के दिशानिर्देशों का पालन सख्ती से करना चाहिए ताकि संक्रमण पर अंकुश लगाया जा सके।
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